जलवायु और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन और भारतीय किसान: खतरे, चुनौतियाँ और समाधान

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Dev Admin User
5/8/2025

विवरण

जलवायु परिवर्तन का असर अब केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं रहा — यह भारतीय कृषि और किसानों की आजीविका पर सीधा प्रहार कर रहा है। यह लेख विस्तार से बताएगा कि कैसे बदलती जलवायु खेती को प्रभावित कर रही है और किसान इससे कैसे निपट सकते हैं।

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भूमिका:

जलवायु परिवर्तन अब एक वैश्विक बहस का विषय नहीं बल्कि भारतीय खेतों की एक जमीनी हकीकत बन चुका है। लगातार बदलते मौसम, समय से पहले या देर से होने वाली बारिश, सूखा, बाढ़ और बढ़ती गर्मी — ये सभी खेती पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं।


जलवायु परिवर्तन के प्रभाव:

  1. फसल उत्पादन में गिरावट – तापमान में वृद्धि और असमय वर्षा से फसलें समय पर नहीं पकतीं या बर्बाद हो जाती हैं।

  2. कीट और रोगों में वृद्धि – गर्म जलवायु में कीटों और फसली रोगों का प्रकोप ज्यादा होता है।

  3. जल संकट – कई क्षेत्रों में भूजल स्तर लगातार गिर रहा है, जिससे सिंचाई मुश्किल हो रही है।

  4. कृषि आय में गिरावट – उपज कम होने के कारण किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।


किसान क्या कर सकते हैं?

  • जलवायु-लचीली फसलें अपनाएं जैसे कि बाजरा, ज्वार, या दालें जो कम पानी में भी उगाई जा सकती हैं।

  • मृदा परीक्षण कराके संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें।

  • वर्षा जल संचयन की व्यवस्था करें ताकि सूखे के समय उसका उपयोग हो सके।

  • कृषि बीमा योजना का लाभ उठाएं ताकि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में आर्थिक सुरक्षा मिल सके।

  • तकनीकी ज्ञान प्राप्त करें – स्मार्टफोन और कृषि एप्स की मदद से मौसम की जानकारी और खेती से जुड़ी नई तकनीकों को अपनाएं।


सरकार और समाज की भूमिका:

सरकार को चाहिए कि जलवायु-स्मार्ट कृषि को प्रोत्साहित करे, किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए और ऐसी नीतियाँ बनाए जो जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम कर सकें। समाज और निजी क्षेत्र को भी किसानों के लिए जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।


निष्कर्ष:

जलवायु परिवर्तन को रोकना आसान नहीं, लेकिन उससे निपटना संभव है — सही तकनीकों, ज्ञान और सरकारी सहयोग से। भारतीय किसान हमेशा से चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से लड़े हैं और अब उन्हें जलवायु के खिलाफ भी एकजुट होकर खड़ा होना होगा।